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Uttar Pradesh

आयुष्मान भारत योजना: चार साल में जुड़े सिर्फ 61 निजी अस्पताल, नौ लाख से ज्यादा लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बने

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आयुष्मान भारत योजना
फोटो: Twitter/@AyushmanNHA

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मेरठ जिले के निजी अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। योजना शुरू होने के चार वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक केवल 61 निजी अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हो पाए हैं जबकि जिले में 243 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें पांच लाख तक का मुफ्त इलाज मुहैया कराती हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना में 76 अस्पतालों को पंजीकृत किया है, जिनमें से 15 सरकारी हैं। सरकारी अस्पतालों में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज, पीएल शर्मा जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। योजना में हितग्राहियों को लाभ मिल रहा है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है।

लोगों में जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही व उदासीनता के कारण अभी भी 9,24,915 लाभार्थी ऐसे हैं, जिनके गोल्डन कार्ड नहीं बन सके हैं. कुल 12,55,915 पात्र हैं, लेकिन केवल 3,31,000 को गोल्डन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 3,06,640 ने उपचार प्राप्त किया है। इलाज कराने में मेरठ का प्रदेश में 46वां स्थान है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों को 39.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें: मेरठ: इंस्टाग्राम पर सऊदी लड़की से हुआ प्यार, रास्ते में आई तो पत्नी ने दे दी खौफनाक मौत, ऐसे खुला हत्या का राज

योजना में केवल उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है, जिनके नाम स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2011 की आर्थिक जनगणना के अनुसार सरकार में दर्ज किए गए थे। बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से समृद्ध लोग भी उनसे जुड़े। यह मामला काफी उठा था, जिसके बाद ऐसे कई लोगों ने गोल्डन कार्ड सीएमओ कार्यालय में जमा भी कराये थे. हालांकि अभी भी कई लोग ऐसे हैं जो इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं, लेकिन पहले से पंजीकृत होने के कारण इस योजना से जुड़े हुए हैं।

निजी अस्पतालों का पंजीयन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है
इस योजना में और अधिक निजी अस्पतालों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पहले इनकी संख्या 55 थी, हाल में छह और अस्पताल जोड़े गए हैं। गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी, जो लोग अब तक कार्ड बनाने से वंचित हैं, उनके कार्ड बनाए जाएंगे. – डॉ. रवींद्र सिरोहा, डिप्टी सीएमओ व नोडल अधिकारी आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना

निजी अस्पताल प्रक्रिया की पेचीदगियों में नहीं पड़ना चाहते
निजी अस्पताल इस योजना में शामिल होने से इसलिए परहेज कर रहे हैं क्योंकि वे इस प्रक्रिया में जटिलताओं से बचना चाहते हैं। इसमें पैसा कम लगता है, दूसरा भुगतान कुछ दिनों के इलाज के बाद किया जाता है। हालांकि इस योजना में अब इलाज की दर में संशोधन किया गया है, कुछ और अस्पताल जोड़े जा सकते हैं। – डॉ. सुशील गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए मेरठ शाखा

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मेरठ जिले के निजी अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। योजना शुरू होने के चार वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक केवल 61 निजी अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हो पाए हैं जबकि जिले में 243 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें पांच लाख तक का मुफ्त इलाज मुहैया कराती हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना में 76 अस्पतालों को पंजीकृत किया है, जिनमें से 15 सरकारी हैं। सरकारी अस्पतालों में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज, पीएल शर्मा जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। योजना में हितग्राहियों को लाभ मिल रहा है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है।

लोगों में जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही व उदासीनता के कारण अभी भी 9,24,915 लाभार्थी ऐसे हैं, जिनके गोल्डन कार्ड नहीं बन सके हैं. कुल 12,55,915 पात्र हैं, लेकिन केवल 3,31,000 को गोल्डन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 3,06,640 ने उपचार प्राप्त किया है। इलाज कराने में मेरठ का प्रदेश में 46वां स्थान है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों को 39.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

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