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सलमान-अमिताभ की इच्छा पर 2 दिग्गजों ने लिखा ‘बागबां’ का क्लाइमैक्स, हर शब्द था जादुई, BR चोपड़ा के भी छलके आंसू

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मुंबई। ‘मैंने भगवान को देखा है और वह मेरे बाबूजी…’ फिल्म ‘बागबान’ के क्लाइमेक्स में आपने सलमान खान को ये कहते जरूर सुना होगा। वहीं उनके बाद जब मंच पर अमिताभ बच्चन आते हैं तो भावुक होकर कहते हैं, ‘माता-पिता सीढ़ी की पहली सीढ़ी नहीं, जीवन के वृक्ष की जड़ होते हैं…’ शायद उनकी आंखों के आंसू समझ रहे हों और उसके दिल का दर्द तुम्हारी आँखों में भी आँशु आ गए होंगे। दरअसल ये सीन इतना इमोशनल है कि किसी के भी आंसू छलक सकते हैं. आइए, आपको बताते हैं इस क्लाइमैक्स सीन की खास बातें…

बीआर चोपड़ा इस फिल्म को साल 2003 में लेकर आए थे। उन्हें इस फिल्म का आइडिया तब आया जब वे किसी काम से डेनमार्क गए और वहां एक वृद्धाश्रम गए। इस मुलाकात के दौरान एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें बताया कि कैसे उनके बच्चों ने उन्हें छोड़ दिया था। बीआर चोपड़ा उनकी बातों से प्रभावित हुए और उन्होंने इस विषय पर फिल्म बनाने का फैसला किया।

चरमोत्कर्ष के लिए दो दिग्गज आए
बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘बागबान’ की ये कहानी एक तरह से हर दूसरे घर की कहानी थी. बदलते वक्त के साथ रिश्ते भी बदलने लगे हैं और यही इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है. ऐसे में इस फिल्म का क्लाइमेक्स सबसे अहम था. फिल्म के आखिरी सीन में अमिताभ को इमोशनल स्पीच देनी थी और इसके लिए उन्होंने जावेद अख्तर को जिम्मेदारी सौंपी थी। कहानी के मर्म को भांपते हुए जावेद ने अमिताभ की इच्छा पर ऐसा भाषण लिखा जो सीधे दर्शकों के दिल में उतर गया।

‘बागबान’ में अमिताभ बच्चन नहीं ये एक्टर थे बीआर चोपड़ा की पहली पसंद, डेनमार्क में मिला था फिल्म का आइडिया

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सलमान ने ली पापा की मदद
क्लाइमेक्स सीन में अमिताभ के भाषण से पहले सलमान खान का एक छोटा सा भाषण था। सलमान चाहते थे कि यह कुछ अलग और खास हो, इसलिए उन्होंने इसके लिए अपने पिता सलीम खान की मदद ली। सलीम ने बेटे के दिल की बात समझ उन्हें जादुई शब्द दिए और पर्दे पर उन्होंने कमाल कर दिखाया. खास बात यह है कि इस सीन को फिल्माने के दौरान न केवल बीआर चोपड़ा बल्कि यूनिट के अन्य लोगों की भी आंखों में आंसू आ गए।

टैग: अमिताभ बच्चन, बीआर चोपड़ा, जावेद अख्तर, सलीम खान, सलमान ख़ान



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